5/8/12

Ashish Pandey


हमारे द्वारा लिखी गयी "क्यूँ " पे कुछ पंक्तियाँ ...........कृपया ध्यान दे .....

हर रौशनी के पीछे एक अँधेरा सा क्यूँ है ?
ना जाने हर सख्श अंदर से गहरा क्यूँ है ?
यूँ तो हर इंसान ऊपर से खुश  नजर आता है ......
फिर भी उसके माथे पे फैली सिकन सी क्यूँ है ?


                                                

जब हम पाना चाहते है उन सारे सवालों जबाब ......
फिर भी हम ना जाने क्यूँ पाते इतने सारे क्यूँ है...?
फिर हम मांगते है जबाब, उपर वाले  से .......और
उपर वाला भी कहता है कि .....तुम्हे इन सारे सबालो के जबाब पाने ही आज क्यूँ है ?

आज ना जाने रुकी यह जिंदगी सी क्यूँ है ?
और इस जिंदगी में रुकी खामोशियाँ सी क्यूँ है ?
काश इस जिंदगी ने क्यूँ का जबाब दे दिया होता .....तो
आज हम ना जाने कहाँ होते ?

अगर आज वो हमारे साथ होते...
तो हम आज इस क्यूँ का जबाब नहीं खोज रहे होते......

फिर उपर वाला कहता है कि क्यूँ करते हो इतना प्यार किसी से ...कि
हर क्यूँ तुम्हे क्यूँ ही नजर आता है....तुमसे तुम्हारा दिल ही पराया पाया जाता है....

फिर मैं सोचता हूँ ....कि अगर आज वो हमारे साथ होते....
तो हम आज इस क्यूँ का जबाब नहीं खोज रहे होते..........
सौजन्य  से ....

1 comment :

  1. Kya bat hai sir ji ap to achha likhte hai ??? Watch live Tv Please click Here Free movies.

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