हमारे द्वारा लिखी गयी "हुस्न" पे चंद lines ...कृपया अपनी राय ब्यक्त करे...अगर पसंद आये तो लाइक करे....................... .......
जब हुस्न की बात चली, तब इस दिल मे ख्याल आया ..
हुस्न इतना जालिम क्यूँ होता है ,यह दिल ने बार -बार दोहराया
जालिम हुस्न की क्या बात करे यारों ,इसमें दिल का क्या कसूर है..
यह हुस्न बार-बार याद आता है इस दिल पे किसका जोर है....
ऐ मोहब्बत की झूठी कसमे खाने बालों ,कसमे खाने बाले तो हमने बहुत देखे है...
कसमे खाने बाले तो बहुत देखे है...मगर उन कसमों पे जान लुटाने बाले बहुत कम देखें हैं...
सौजन्य से
आशीष पाण्डेय —
जब हुस्न की बात चली, तब इस दिल मे ख्याल आया ..
हुस्न इतना जालिम क्यूँ होता है ,यह दिल ने बार -बार दोहराया
जालिम हुस्न की क्या बात करे यारों ,इसमें दिल का क्या कसूर है..
यह हुस्न बार-बार याद आता है इस दिल पे किसका जोर है....
ऐ मोहब्बत की झूठी कसमे खाने बालों ,कसमे खाने बाले तो हमने बहुत देखे है...
कसमे खाने बाले तो बहुत देखे है...मगर उन कसमों पे जान लुटाने बाले बहुत कम देखें हैं...
सौजन्य से
आशीष पाण्डेय —
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