10/24/13

Ashish Pandey



ये आसु जो तेरी जुदाई मे बहते है,


हो के भी दूर हम साथ साथ चलते है..........

इस दिल मे है तमन्ना और तमन्नाओ मे हो तुम

               


इसी उम्मीद मे कभी ये बहते तो कभी ये रुकते है...........

जिन्दगी के  गलियारो मे घटनाये भी घटती है

दूर पास कि फिक्र मे सासे ये अटकती है...........

                           



हसना  चाहता हू मगर रोक लेते है

ये आसु जो तेरी जुदाई मे बहते है................

                        




सौजन्य से ....
आशीष पाण्डेय

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