हमारे द्वारा लिखे गए कुछ हमारे ही विचार......
जख्म जो उभरे है दिल टूट जाने से
जख्म जो उभरे है दिल टूट जाने से
दूर और जाता है पास वो बुलाने से...
तकलीफ होती होगी उसको भी बहुत
ना जाने क्या सोचती है पास वो आने से....
रहेगा इन्तेजार कि आयेगा वो पास
दिल खोल के बताना है उस अन्जाने से..
आना चाहे तो रोकता है कोई
तकल्लुफ तो यही है इस जमाने से....
खुशी मिलती है उसकी एक झलक पाने से, जख्म जो उभरे है दिल टूट जाने से.......
सौजन्य से
आशीष पाण्डेय
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